पैसा पैसा पैसा....!!!!


पैसा पैसा पैसा....!!!!

"पैसा ये पैसाजो हो मुसीबत ना हो मुसीबतहाय ये पैसा उफ ये पैसा... पैसा... पैसा...!!!"


मेरी लड़की शमिता जो की आज ९ साल की हैउसने मुझे बातो बातो में बताया कीउसे लगता है पैसा कागद का एक ऐसा चमत्कारी टुकड़ा है जिससे सिर्फ इंसान ही अपने सुख सुविधाओं की वस्तुवों को खरीदने में इस्तमाल करता है!

मैंने पूछा, ऐसे क्यों लगा?
शमिता का जवाब:- 
क्योकि हमारे सीवा कोई और प्राणी पैसे का इस्तमाल नहीं करता। पर फिर भी वह जिंदा रहते है। खाना खाते हैअपने रोज के काम भी पैसे के बिना करते है। अपने बच्चो को भी बहोत अच्छे से संभालते है। अपने बच्चो को अपने ही समूह के प्राणियों के साथ सिखने के लिए भी भेजते है. उन्हें कभी पैसे की जरुरत नहीं होती।

मैंने पूछा, अगर सभी प्राणियों को पैसे से ही सामान खरीदना पडेगा तो क्या होगा।
शमिता का जवाब:-
सभी प्राणियों को भी काम पर जाना होगानोकरी करनी होगीपैसे कमाना होगा। फिर वो भी अपने पैसे से सभी सामान खरीद पायेंगे।

मैंने पूछा, क्या ये प्राणी काम नहीं करते?
शमिता का जवाब!!!!!
इस दुनिया के सभी प्राणी हम इंसानों से जादा काम करते हैहमारे उठने से पहले ही वो सवेरे सवेरे अपने रोज के काम पर निकल जाते है। और शाम होते ही वापस अपने घोसले में अपने परिवार के साथ समय बिताते है।

मैंने कुछ देर तक शांत था, यह सोच रहा था की कैसे बच्चो को जिंदगी के गंभीर सवालों के जवाब आसानी से मिला जाते है और हम जिंदगी को कितना कठिन बनाने के पीछे लगे रहते है।

तभी शमिताने पूछा, अगर लोगो को पैसे नहीं मिलते है तो क्या होता है?
मेरा जवाब:-
हम इंसान ही है जो पैसे के बिना पागल हो जाते है। पैसे की कमी लोगो को खलने लगाती है। लोगो ने पैसे को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। हर जगह लोग अपने पैसे का देखावा करते है. आज लोग पैसे के लिए जीते है ऐसा लगता है!

शमिता ने पूछा, लोगो को प्राणियों की तरह जीने के लिए कितने पैसो की जरुरत होती है?
मेरा जवाब:-
इंसान की पैसे की भूख कभी कम नहीं होती, जिसके पास जितना है उसको उससे जादा चाहिए होता है। और जितना जादा पैसा लोगो के पास आता है उतना ही जादा लोग अपने जीने के लिए खर्च करते है। आज पूरी दुनिया में ९५लोग पैसे के लिए काम करते हैखुद का कुछ ना कुछ रोजगार करते हैओर सिर्फ ५लोग जो इस पैसे को काम पर लगाते है। और यही ५% लोग है जो प्राणियों की तरह जीते है, कही भी जाते है कुछ भी करते है, अपने परिवार को समय देते है। मस्त रहते है


शमिताने पूछा, पैसे के लिए जीना मतलब क्या होता है?
मेरा जवाब:-
रोज सुबह उठना और इच्छा ना होते हुवे भी नोकरी पर जाना, ऐसे काम करना जहा काम करने का मन नहीं होता है, फिर भी घर परिवार को संभालने के लिए उन्हें काम करना पड़ता है, और जो ५% लोग होते है वह इन्ही ९५% लोगो से काम करवाते है। ये ५% लोग अपने सभी तरह से कमाए हुए पैसे को हर महीना पहले बचत करते है फिर बचत किया हुवा पैसा वापस निवेश करते है ताकि वो जादा कमा सके।

शमिता ने पूछा, बचत और निवेश क्या है?
मेरा जवाब:-
बचत और निवेश को समझने से पहले हमें लोगो की आदतों को समझाना पडेगा. क्योकि ९५% लोग जो नहीं कर पाते वो ५% लोग कैसे कर लेते है?
ये जो ५% लोग निवेश करते हैवह अपनी सभी तरह की कमाई का १०% से २०% हर महीने पैसे हाथ में आते ही पहले बचत करते हैऔर फिर बचे हुये पैसे को कम से कम खर्च करते है। जो की ९५% लोग नहीं कर पाते। उसी १०% से २०% की हुई बचत को वो लोग अलग अलग कंपनियों में या फिर घर, जमीन लेने के लिए निवेश करते है।

शमिता ने पूछा, ९५% लोग बचत क्यों नहीं कर पातेक्या उनकी कमाई कम होती है?
मेरा जवाब:-
हमारी कमाई कितनी भी हो हमें अपनी कमाई से १०% से २०% की बचत करनी ही चाहिए।क्योकी बिना बचत के निवेश भी नहीं कर सकते। ये जो ९५% लोग है उन्हें कभी कोई सिखाता ही नहीं है की कैसे बचत किया जाए। ये लोग कुछ प्रायवेट कंपनियों में पैसे लगाकर नुकसान झेलते है, और फिर कभी भी वापस बचत करने के लिए आगे नहीं आते। इन्हें खर्च करना पसंद होता है। उनकी जीतनी जादा कमाई होती है उतना ही जादा यह लोग खर्च करने में लगा देते है।

शमिता ने पूछा, ५% लोगो के बारे में ये ९५% लोग क्या सोचते है?
मेरा जवाब:-
मुझे सही से पता तो नहीं है पर जब भी मैंने लोगो से बात किया है पैसे और पैसे वालो के बारे में तो हर बार लोगो ने मुझीसे कुछ सवाल किया था।
वो कैसे इतना कमा लेते है?
हम क्यों नही कर पाते?
वो अमिर लोग कोई दूसरे ग्रह से आये है क्या?
उनके पास कितने प्रकार के दिमाग है?
उनके माता पिता ने बहोत कमाकर रखा होगा?
वो बहोत किस्मत वाले है?
चोरी किया होगा?
हराम की कमाई होगी?
बैमानी करके कमाया होगा?
डाका डाला होगा?
लॉटरी लगी होगी?

शमिता ने पूछा, क्या यह सवाल सही है?
मेरा जवाब:-
बिलकुल भी नहीं, ये सभी सवाल अपनी जिम्मेदारियों को किसी ओर के सर या किस्मत पर डालकर, अपने आपको झटक कर निकालन जाने की प्रक्रिया है। जिसमे इंसान बहोत माहिर है। हम इंसान हमेसा अपनी कमजोरी या नाकामयाबी किसी और के सर पर पटकना चाहते है। इसीलिए दूसरो में या तो नुक्स निकालते है या तो जिम्मेदार ठहराते है। अपनी गलती के लिए कंपनी को या मालिक को जिम्मेदार बताते है। हर बार बोलते है, काम करने का मन नहीं करता फिर भी दुसरे दिन काम पर चले जाते है। यह लोग कोई और रस्ते की खोज नहीं करते 

शमिता ने मेरी बात को बिच में काटते हुवे पूछा, बाबा तूने कभी ऐसा किया है?
मैंने जवाब दिया:-
हां मै भी उन ९५% लोगो का एक हिस्सा हुवा करता था कुछ साल पहले तक, मैं भी ८ घंटे की नोकरी के पीछे रहता था। लोगो को अपनी नाकामयाबी के लिए जिम्मेदार समझता था. जब तक मुझे ये ५% लोगो के बारे में पता नहीं था, 
अब मैं भी उन ५% लोगो में आने की कोशिस कर रहा हु, अब मैं अपने सभी काम की जिम्मेदारी खुद लेता हु। ५% लोगो की जिंदगी जीने के लिए थोडा जादा समय मेहनत करता हु। अपने शरीर के साथ साथ अपने दिमाग का भी इस्तमाल करता हु। अलग अलग रास्तो की खोज चालु है जहा मेरे साथ लोगो का भी भला होगा मैं यह सोचता हु, जो की ९५% लोग नहीं करते।

शमिता का ने पूछा, शरीर के साथ दिमाग का इस्तमाल मतलब?
मेरा जवाब:-
हम जो ९५% लोग है हम हमेसा अपने शरीर इस्तमाल करते है पैसे कमाने के लिए, जबकि ५% लोग अपने दिमाग का इस्तमाल करते है। हम जब अपने शरीर का इस्तमाल करते है तो हम पुरे दिन में सिर्फ एक ही काम कर सकते है। पर जब हम अपने दिमाग का इस्तमाल करते है तो हम कम से कम ३ काम कर सकते है, यानी की ३ तरह की कमाई भी कर सकते है और ये ५% लोग अपने दिमाग का इस्तमाल करके कम से कम ८ तरह के काम करते है, तो इन्हें ८ तरह से पगार भी मिलाता है।

शमिता ने पूछा, लोगो ने अपने शरीर के साथ साथ दिमाग का इस्तमाल कैसे और कब करना चाहिए।
मेरा जवाब:-
सभी ने अपनी पढाई के साथ साथ काम करना चाहिए, ताकि हम पढाई पूरी करने के बाद तुरंत ही अपने अनुभव के अनुसार कुछ अच्छा निरंतर चलने वाला रोजगार सुरु कर सके. उसीके साथ सभी ने स्कुल और कोलेज की किताबो के अलावा अपनी पसंद के एक विषय को लेकर पढ़ते रहना चाहिए। साथ ही इस पढाई का इस्तमाल अपने रोजगार को बढाने के लिए करना चाहिए।
अधिक तर लोग पढाई इसीलिए करते है ताकि अच्छी नोकरी मिले, फिर नोकरी मिलने के बाद वो पढाई करना बंद करा देते है। जिस वजह से वो वही काम करते रहते है जो उनके मालिक उन्हें बताते है।
आज कल हम जानकारी के विश्व में रहते है। हम हर तरह की जानकरी को आसानी से पा सकते है। कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था।
सभी ने इसके बारे में सोचना चाहिए। 
तुरंत ही....

मैंने शमिता को पूछा, तुझे क्या लगता है, लोग पैसे से क्या क्या नहीं खरीद सकते?
शमिता का जवाब सुनकर मैं दंग रह गया।
पैसे से चोकलेट खरीद सकते है पर भूख नहीं खरीद सकते
पैसे से डॉक्टर के पास जा सकते है पर सेहत नहीं खरीद सकते।
पैसे से सोने के लिए अच्छा बैड खरीद सकते है पर नींद नहीं खरीद सकते।

फिर मैंने भी कुछ बाते उसके साथ ही जोड़ दिया
पैसे से रिस्ते नाते खरीद सकते हैपर सच्चा प्यार, सम्मान और दुलार नही खरीद सकते।
पैसे से देखावा खरीद सकते है पर आत्मविश्वास नही खरीद सकते।

फिर हम दोनों ने एक लाइन कही

"पैसा चमत्कार नही पर किसी चमहत्कार से कम भी नही है।"

रो जोर जोर से हँसने लगे!!!!!!


 संक्षित में:-

जिसके पास पैसा है वह बहोत चमत्कार कर सकता है ओर लोग उन्ही लोगो को नमस्कार भी करते है।

लोग हमेसा पैसा के बारेमे कहते है कि पैसा हमारे पास रहने को तैयार नही। पर यह बहोत बड़े पैमाने पर अमीरों की तिजोरी में रहता है। उनके पास ही भर भर कर आता है। क्या सही में आपने कभी पैसे को अपने पास रखने की कोशिस किया है।

शमिता के बातचीत से आपको समझ आ ही गया होगा की पैसे हाथ की मैल नहीं यह एक समझदारी भरा अभ्यास का विषय है, जो हम सभी ने करना चाहिए। तथा अपने बच्चो को भी इस विषय में जानकारी देना चाहिए।

अधिक तर समय हम अपने आपको बहोत बीजी है ऐसे बताते है, हमारे पास समय नहीं है इसका आव लाते है। पर इसका नुकसान हमी लोगो को होता है, इसलिए पढाई करते रहिए, खुश रहिए, नए लोगो को मिलते रहिए, आगे बढ़ते रहिए। और हमें दुवा में याद रखिये

अधिक लोगो के साथ इसे शेयर करे ताकि और लोग इस बात को समझ सके.

अपना अभिप्राय जरुर बताये!

जय हिंद!!!


"Yes I am, I am also a Hindu, a Muslim, a Christian, a Buddhist, and a Jew" but first INDIAN I am. 

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