स्वयं अध्ययन के लिए : चार महत्वपूर्ण प्रक्रिया।

स्वयं अध्ययन के लिए : चार महत्वपूर्ण प्रक्रिया होनी चाहिए।

 

इस लोकडाउन के दरम्यान जो हमने सिखा उसे आपके साथ साझा करने का प्रयत्न कर रहे है. सभी को लगता है की स्वयं अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, अभी तक के सामाजिक संस्थाओं में काम करने के अनुभव और शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षको से जो कुछ भी सिखा है उसका निचोड़ इस लेख में रखने की कोशिस कर रहे है। आज के समय में अध्ययन तथा स्वयं अध्ययन के इस मोड में, कुछ शामिल प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए, पालक, शिक्षक या बच्चे सभी के लिए स्वयं अध्ययन की कुछ सुचनाये है, जो चार महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया से हो कर गुजरती है.

 

प्रक्रिया 1: सीखने के लिए तत्परता का आकलन करें।

सफल और स्वतंत्र, स्वयं अध्ययन या सीखने के लिए विभिन्न कौशल और दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इस कदम में हमें अपनी वर्तमान स्थिति, अध्ययन की आदतों, परिवार की स्थिति और पढाई तथा घर इन सभी को समझाने के लिए आत्म-मूल्यांकन करना जरुरी है और इसमें स्वतंत्र सीखने के साथ पिछले अनुभवों का मूल्यांकन करना भी शामिल है। स्वयं अध्ययन करना और सीखने के लिए तत्परता के संकेतों को समझना, समूह में रहना, संगठित होना, स्व-अनुशासित होना, प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होना और रचनात्मक प्रतिक्रिया को स्वीकार करना तथा आत्म-मूल्यांकन और आत्म-प्रतिबिंब में संलग्न होना शामिल है।

 

यह सभी बाते एक ही दिन में रातो रात नहीं होने वाली इसे समय लगता है। पर पालको और बच्चो ने ठान लिया तो यह करना बहोत ही आम और आसान बात है।

 

चरण 2: स्वयं अध्ययन तथा सीखने के लक्ष्य निर्धारित करें।

बच्चे और पालको के बीच स्वयं अध्ययन तथा सीखने के लक्ष्यों का संचार महत्वपूर्ण है। हम बच्चो के स्वयं अध्ययन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रश्नों का एक समूह विकसित कर रहे है। यह प्रश्नावली बच्चे और पालको के बीच स्वयं अध्ययन तथा सीखने के लक्ष्यों की स्पष्ट समझ विकसित करने में भी महत्वपूर्ण हैं, इसे और भी विकसित किया जा सकता है। आप भी कुछ सुचनाये जरुर दे।

 

F स्वअध्ययन तथा सीखने की इकाई के लिए लक्ष्य बनाना

F गतिविधियों की संरचना और अनुक्रम तयार करना

F गतिविधियों को पूरा करने के लिए समयरेखा बनाना

F प्रत्येक लक्ष्य के लिए संसाधन सामग्री की खोज करना

F प्रत्येक लक्ष्य पूरा हो गया है या नहीं उसकी प्रतिक्रिया और मूल्यांकन करना

F बच्चे और पालको ने आपस में एक साथ बैठकर योजना बनाना

F काम के तरीके को समझना, जैसे कि देर से काम करने की नीति

 

बच्चे और पालको के साथ इस विषय पर चर्चा होने के बाद, हर १५ दिन या 30 दिन में एक बार चर्चा होना जरुरी है, और अगर कुछ बदलाव करना हो तो उसे करने के लिए खुले मन से करना चाहिए। इससे बच्चे और पालको के बिच में एक अच्छा विश्वास पूर्ण वातावरण तैयार होगा। लक्ष्य बहोत ही छोटे होने चाहिए और हार जित से भरे हुए होने चाहिए। ताकि बच्चो में हार जीत के बारे में अधिक तनाव ना रहे।

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चरण 3: स्वयं अध्ययन तथा सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रहें।

बच्चे और पालको को स्वयं अध्ययन तथा सीखने की आवश्यकताओं को समझने के लिए खुद को विद्यार्थियों की तरह या उस रूप में समझने की आवश्यकता है। सिखना यह सिर्फ बच्चो के लिए ही जरुरी नहीं है, सिखाना यह एक प्रक्रिया है, जो सभी के लिए जरूरी है। जो सिखाना छोड़ देता है वह जीना छोड़ देता है। पालको को निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने पर भी विचार करना चाहिए:

 

हमारी आवश्यकताएं क्या हैं: निर्देशात्मक तरीके!

मेरा पसंदीदा शिक्षक कौन था? क्यों?

उन्होंने ऐसा क्या किया जो अन्य शिक्षकों से अलग था?

 

बच्चो को भी स्वयं अध्ययन करते समय पालको ने उनके दृष्टिकोण को समझने की आवश्यकता है:

F बच्चे हर समय सिखते ही रहते है

F बच्चो में सृजनात्मक कोशल्य जन्म से ही होते है

F बच्चे बहोत ही अधिक कृतिशील होते है (हमारी सोच से भी जादा)

F बच्चो को खेल के माध्यम से बहोत साड़ी चीजे-बाते सिखाई जा सकती है

 

चरण 4: स्वयं अध्ययन का मूल्यांकन करें

बच्चो को स्वयं अध्ययन सीखने में सफल होने के लिए, उन्हें अपने सीखने के लक्ष्यों के आत्म-प्रतिबिंब और आत्म-मूल्यांकन में संलग्न होने और अध्ययन की एक इकाई में प्रगति करने में सक्षम होना चाहिए। इस स्वयं अध्ययन प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए, उन्हें चाहिए:

 

बिच बिच में सलाह देने वाले प्रशिक्षक के साथ परामर्श करें,

जानकारी लेना और प्रतिक्रिया के माध्यम से अपनी समझ को और विकसित करना,

रोज अपनी डायरी लिखना ताकि पता चले आपने क्या सिखा!

 

यह जरुर खोजे!

F क्या मैं ज्ञान को अपनाने और लागू करने में लचीला हूं?

F क्या मुझे सामग्री की व्याख्या करने में विश्वास है?

F मुझे कब पता चलेगा कि मैंने पर्याप्त सीखा है?

F यह आत्म-प्रतिबिंब के लिए समय कब है और सलाहकार के साथ परामर्श का समय कब है?

 

चार-चरणीय प्रक्रिया में जिम्मेदारियां

 

बच्चो की भूमिकाएँ

o   सीखने के लिए अपनी तत्परता का स्व-मूल्यांकन करें

o   अपने सीखने के लक्ष्यों को परिभाषित करें और एक सीखने के अनुबंध को विकसित करें

o   अपनी सीखने की प्रक्रिया को समझे और उसे विकसित करे

o   सीखने की प्रक्रिया के सभी चरणों के लिए पहल करें - स्वयं प्रेरित हों

o   अध्ययन की अपनी इकाई के दौरान आवश्यकतानुसार लक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन और परिवर्तन करें

o   आवश्यकतानुसार अपने सलाहकार प्रशिक्षक से परामर्श करें

 

पालको की भूमिका

o   बच्चो के लिए स्वयं अध्ययन लायक माहौल का निर्माण करें

o   बच्चो को स्वयं अध्ययन के लिए प्रेरित करने और उन्हें निर्देशित करने में मदद करें

o   स्वयं अध्ययन के लिए बच्चो की पहल को सुगम बनाना

o   स्वयं अध्ययन की प्रक्रिया के दौरान परामर्श के लिए उपयुक्त हो

o   एक औपचारिक शिक्षक तथा सलाहकार के बजाय एक मार्गदर्शक के रूप में मदद करें

 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे:-

श्री. देश मिश्रा

स्वयं अध्ययन करता पालक

 


 


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