लोक डाउन में होमस्कूलिंग एक पर्याय!!


इस लोकडाउन को होमस्कुलिंग के लिए एक पर्याय करके हम ने देखा, 

हम सभी पूरा परिवार घर पर ही है, इसका अच्छा इस्तमाल कर सकते है, यह सोच थी।

अभी तक का अनुभव और हमने क्या किया उसके बारे में बताते है।

सबसे बड़ी बात यह है कि हम भले ही घर में है, पर हमें छुट्टी नही है। जो जिम्मेदारी ली हुई है वह काम तो करने ही पड़ रहे, उससे छुटकारा नहीं है।

फिर भी हमने क्या खोया क्या पाया अभी तक।

हमने जाना, स्कूल की व्यवस्था अपनी हरकतों से बाज नहीं आते, एक तरह तो बच्चों को छुट्टी घोषित कर दिया है, ओर सभी बच्चों को पास भी कर दिया है, नए एडमिशन भी चालू हो गए है। उसके बावजूद रोज 3 से 5 वर्कशीट भेजी जा रही है ताकि बच्चे व्यस्त रहे, ओर पालकों को लगे, की स्कूल कितनी जिम्मेदारी के साथ काम कर रही है। हसी आती है इस बात पर की कभी भी मेरे जैसा पालक भी इस मार्केटिंग व्यवस्था का शिकार हो जाता है, अपने बच्ची कब भविष्य के बारे में सोचते हुए।

अब आप ही तय करो कि स्कूली व्यवस्था जो कर रही है वह क्या है??

जो समय हम दे सके वह इफेक्टिव ही होगा ऐसे तय किया गया। जिसके तहद शमिता ने जो सीखा खुद से वह काबिले तारीफ है।

भरत नाट्यमय के कुछ खास स्टैप्स! ओर अलग अलग गाने पर अपना डांस बैढाया ओर उसपर प्रयाग भी चालु है। 

क्राफ्ट किया जो कि बहोत ही खूब सूरत है। 

ड्रॉइंग भी किया, पियानों ओर गिटार पर अपना हाथ साफ किया, एक गाने की टीयून खुद बनाई, 

चेस खेल रही है जिसमे मुझे टक्कर भी दिया बहोत ही दमदार।

अब आप कहेंगे, इस सब से जिंदगी नही चलती साहब!! जिंदगी चलाने के लिए कोई हुनर चाहिए ताकि अच्छी नोकरी मिल सके!!!

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तो आप सभी को बताना चाहता हु, अभी की पढ़ाई सिर्फ और सिर्फ कामगार ही तयार कर रही है, उद्योजक या सृजनात्मक ओर संवेदनशील व्यक्ति नही।यह काम अभी सिर्फ और सिर्फ होमस्कुलिंग से ही मुमकीन है, 

क्योंकि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है,आने वाले वर्षों में अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए भी कर्ज ही लेना पड़ेगा। आप किसी भी तरह से काम करो, बिना इसके नियोजन के बच्चों की अच्छी पढ़ाई नामुमकिन है।

फिर क्या करना चाहिए। तो बता दु हमारे बुजुर्गोने पहले से ही इसका इस्तेमाल किया था। हम ही है जो शहर और शहरीकरण के चकाचोंद में इतना घुल मिल गए कि सब भूल गए। 

हमारे बुजुर्ग ध्यान देते थे, बच्चे को क्या पसंद है, या फिर तय करते थे बच्चा क्या बनना चाहिए, उसे उसी तरफ से तयार किया जाता था। अभी तो हमारे बच्चों के बारे में स्कूल के शिक्षक सोचते है, तय करते है, हम तो सिर्फ रिपोर्ट कार्ड लाते है और फ़िस भरते रहते है। बच्चों की परवरिश गई भाड़ में।

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अभी मेरे कुछ सवाल! आप तय करो क्या करना चाहिए!

1. आपके अभी तक के पढ़ाई का, आपके आज के काम से क्या संबंध है?

2. आप अभी जो भी कर रहे हो, उसके लिए आपको कुछ और सीखना पड़ा या नाही?

3. जो बिना पढ़े लिखे है, क्या वह भूखे मर रहे है?

4. आपका बॉस कितना पढ़ा लिखा है?

जवाब से अपने आपको ओर फिर अपने बच्चों की मानसिकता ओर उनके बचपन को टटोले!!

हम जाने अंजाने में बच्चों पर अभी से पढ़ाई के बारे में बहोत ही ज्यादा दबाव डाल रहे है। अभी हमे लगता है की उनके भविष्य के लिए अच्छा है। 

कैसे अभी आप जो सोच रहे हो वह आपके बच्चों के भविष्य के लिये अच्छा ही होगा।

क्या सभी मे उसका कोई विपरीत परिणाम नही होगा??

चलो एक ओर बात को खोजिए!!

आपके साथ 10 वी कक्षा में पढ़ रहे सभी आपके दोस्त अभी क्या कर रहे है। चेक करीये।

आपके साथ 12 वी कक्षा में पढ़ रहे सभी आपके दोस्त अभी क्या कर रहे है। चेक करीये।

ओर इससे ज्यादा आपने पढ़ाई किया है तो उस कक्षा के दोस्त के बारे में भी पता करीये।

आपको पता चला ही होगा कि किसी का भी विकास एक जैसे नही हुवा है। जिसको जो पसंद था या उसके परिवार में लोग जो करते थे वही किया तो वह आगे बढ़ गये। याने आपसे ज्यादा कमाने वाले भी दोस्त होंगे, कम कमाने वाले पर पतिवार को ज्यादा समय देने वाले दोस्त भी होंगे।

इसका मतलब आज कोई भी यह नही बता सकता कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए क्या अच्छा या बुरा है। हमे याने आपको ही तय करना पड़ेगा। आज आपके बच्चे को अपने मन मर्जी से जीने देना है या फिर पढ़ाई के दबाव में। 

हमने तय किया है अभी जिस स्कूल में शमिता है, उसके जो भी वर्कशीट आते है हम प्रिंट करके सामने टेबल पर रख देते है, जब शमिता का मन करता है, उसे लेकर लिखती है, या फिर पड़ा रहता है। 

जरूरी यह है कि वह खुश है। और शमिता हमेशा ही खुश रहेगी। यह हम तीनों की जिम्मेदारी है, 

शमिता शिल्पा दिनेश की!

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा और कुछ सवाल हो तो जरूर पूछे जवाब देने की कोशिश करेंगे

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